अब्दुल हलीम जाफ़र ख़ाँ
अब्दुल हलीम जाफ़र ख़ाँ
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पूरा नाम | अब्दुल हलीम जाफ़र ख़ाँ |
जन्म | 1929 |
जन्म भूमि | मध्य प्रदेश |
अभिभावक | उ. जाफ़र खाँ (पिता) |
कर्म-क्षेत्र | सितार वादक |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, पद्मश्री, शिखर सम्मान |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | इनके वादन की अपनी अलग शैली है, जिसे लोग 'जाफ़रखानी बाज' कहने लगे हैं। |
अद्यतन |
12:06, 11 अक्टूबर 2012 (IST)
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जीवन परिचय
हलीम साहब का जन्म इन्दौर के निकटस्थ जावरा ग्राम में सन् 1929 में हुआ था। कुछ समय बाद इनका परिवार बंबई चला गया। अब्दुल हलीम के पिता उ. जाफ़र खाँ भी सितार के अच्छे ज्ञाता थे। बचपन से ही सांगीतिक वातावरण मिलने से संगीत के प्रति लगाव हो जाना स्वाभाविक था।शिक्षा
आपकी प्रारंभिक सितार-शिक्षा प्रसिद्ध बीनकार उ. बाबू खाँ से शुरू हुई। तत्पश्चात् उ. महबूब खाँ से सितार की उच्चस्तरीय तालीम हासिल की। अब तक आप अपने फन में पूरी तरह माहिर हो चुके थे।फ़िल्मी जीवन
पिताजी का इन्तकाल होने की वजह से आपके सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई, परिणामतः आपको फ़िल्मी क्षेत्र में जाना पड़ा। यहाँ आपको काफ़ी कामयाबी मिली, साथ ही सारे भारत में आपके सितार-वादन की धूम मच गई। आकाशवाणी के राष्ट्रीय कार्यक्रमों तथा अखिल-भारतीय संगीत सम्मेलनों में अपने सितार-वादन से आपने लाखों श्रोताओं की आनन्द-विभोर तथा आश्चर्य-चकित किया है। आपने चकंधुन, कल्पना, मध्यमी तथा खुसरूबानी -जैसे मधुर राग निर्मित किए है। कुछ दक्षिणी रागों को भी उत्तर भारत में लोकप्रिय बनाया है। सांस्कृतिक प्रतिनिधि-मण्ड़ल के माध्यम से कई बार विदेश-भ्रमण कर चुके है।सम्मान और पुरस्कार
- पद्मभूषण 2006
- शिखर सम्मान (मध्य प्रदेश सरकार) 1991
- गौरव पुरस्कार (महाराष्ट्र सरकार) 1990
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार 1987
- पद्मश्री 1970
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